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शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

जैन मुनियों सा आचरण

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आज नगर निगम को उसकी सांस्कृतिक सफलता पर बधाई देने का मन कर रहा है । नगर निगम ने शहर के अंदर कूड़े कचरे के इतने बड़े बड़े पहाड़ खड़े कर रखे हैं कि उन्हें देख कर गंगा सफाई अभियान का प्रोजेक्ट तैयार करने शहर आया जापानी विशेषज्ञों का दल दंग रह गया । अगर त्रेतायुग होता तो रात में कूड़े के इन ऊंचे ऊंचे पहाड़ों को ऊपर से देख कर संजीवनी लेने जाते पवनसुत गलती से हमारे शहर में ही उतर जाते । खैर ।

कचरे के इन ऊंचे पहाड़ों का अवलोकर कर जापानी विशेषज्ञों ने नाक पर रूमाल रखा तो फिर उसे घंटों हटाने का साहस न कर सके । गंगा में गिरते नालों को देख उनमें से एक ने नगर निगम के एक अधिकारी से पूछा ‘आपने  करोड़ों रूपये किस काम पर खर्च कर दिये । अगर शहर के अंदर दर्जन भर गंदे नाले सीधे गंगा में गिराये जा रहे हैं तब गंगा सफाई अभियान किस इलाके में चलाया गया ।’ नगर निगम के लोग ऐसे सवालों के जवाब में या तो खीसे निपोरते हैं या फिर खामोश रहते हैं ।

साथ चल रहे एक पत्रकार ने कहा ‘ नगर निगम को बधाई देनी चाहिये जो उन्होंने बौद्ध धर्म के अनुयायी जापानियों को आज मुंह पर रूमाल रखवा कर जैन धर्म से भी परिचित करवा दिया ।

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