काम ऐसे करो कि लोग आपको….

किसी दूसरे काम के लिए बोले ही नहीं….

शनिवार, 18 नवंबर 2017

रामायण बैठी है

मित्रों, रामचरितमानस का पाठ अपके अगल-बगल में कभी न कभी तो हुआ ही होगा । आपके घर में भी हुआ हो या प्लानिंग चल रही होगी इस नवरात्र में पीट देने की । हे रामचंद्र जी! मुझको माफ कर दो । मैं तुम्हारे भक्तों पर व्यंग्य करने जा रहा हूँ । फिलहाल मेरे पड़ोस में बालकाण्ड बोहनी कर चुका है । मुझको समझ में नहीं आता कि भोंपू का अविष्कार होने के पहले रामायण पाठ और अजान किस तरह से की जाती थी । केंद्र से 100 मीटर की दूरी तक के सभी मकानों के खिड़की दरवाजे पूरी कुशलता के साथ बंद होंगे । उनमें रहने वाले कानों में रूई ठूँस कर बैठे होंगे । उनको श्री राम 24 घंटे तक लगातार याद आयेंगे । साथ ही याद आयेंगे भयानक राक्षस और उत्पाती शोर मचाते उद्दंड वानर । ”प्रभू तुम्हारी फोटो के सामने ही तो इतना शोर हो रहा होगा । क्या तुम्हारा सिर दर्द से नहीं फटता ?”

रामायण बैठाने के दो दिन पहले से ही तैयारीयाँ शुरू हो जाती है । उन विशेषज्ञों की लिस्ट बनाई जाती हैं जो ढ़ोलक, मंजीरा पीटने में और हरमोनियम क्यां-क्यां करने में सिध्दहस्त हैं । ”अरे राकेश के साले सुरिंदर को फोन किया कि नहीं । टॉप की रामायण गाता है । ” सुरिंदर भाई कॉलेज में ”मेरी पेंट भी सेक्सी” गाते हैं और रामायण में चौपाई भी उसी धुन पर रगेद देते हैं । चाहे दशरथ हा राम! का विलाप कर स्वर्गवासी हो रहे हों या सीता जी रावण को तिनका दिख कर धमका रही होती हैं पर सुरिंदर भाई ”गोरे गोरे मुखड़े पर काला काला चश्मा” गा रहे होते हैं । तुलसीदास जी ऊपर बैठे सोचते होंगे थोड़ा लेट पैदा हुये होता तो बालीवुड में अच्छा चांस था । या फिर हाथ जोड़ कर रामचंद्र जी से माफी मांगते ”प्रभू मुझको माफ कर दो । मुझको नहीं पता था कि आपकी कथा की कभी ऐसी दुर्गती भी हो सकती है ।”

”चुन्नु बेटा, तुम्हारे दोस्तों को खबर कर दी कि नहीं । तुम लोग अभी सो जाओ, रात को तुम्ही लोगो को खींचना है ।” एक एहसान है रामजी पर । तुम्हारी कन्वेसिंग कर रहे हैं रघुपति और क्या चाहिये तुम्हें । एक महात्मा के प्रवचन में सुना था कि जहां कहीं श्री राम कथा होती है, बजरंगबली वहाँ एक बार जरूर पहुँचते हैं । गलत है । जहाँ कहीं भी लाउडस्पीकर बांध कर राम कथा हो रही होगी, बजरंगबली क्या जो भी देवता आस-पास होगा सिर पर पैर रख कर भागेगा । इतनी चिल्लहटों और ध्वनि प्रदूषण में सिर्फ पूड़ी-पंजीरी की आस वाले रूकेंगे और कोई नहीं ।

रामायण पाठ का जब इतना प्रभाव है तब श्री राम ने फालतु में ही रावण से इतना लंबा युध्द किया । बानरी सेना की भी जरूरत नही पड़ती । अयोध्या से एक दर्जन रामायण पाठ करने वाले गवैये बुलाकर लंका के सामने अखंड रामायण शुरू करवा देते । रावण पगला जाता । दौड़ा चला आता और निवेदन करता । हे राम! ये चिल्लहटो बंद करवाओ, ये रही तुम्हारी सीता ।

रामयण बैठाना एक यज्ञ है । बड़ी मुश्किल से गाने वाले मिल पाते हैं । वो भी एक-दो घंटा काट कर चल देतें हैं । दिन तो कट जाता है पर रात में क्या किया जाये । स्पेशल इंस्ट्रक्शन दिये जाते हैं । जगदीश, गिरीश, बब्लू और कल्लू आज घर पर ही रूकेंगे। रात के एक बज रहे हैं । घर की एक महिला की डयूटी चाय पर लगी है । हर आधे घंटे पर चाय आ रही है । सौंफ, इलायची, गरी का बुरादा प्लेट में रखा है । बब्लू रामायण पकडे पकड़े ही लेट गये हैं और जगदीश आधे घंटे से पेशाब करने गये हैं । बहुत बड़ी जिम्मेदारी है बिना खंडित हुये रामायण पाठ । दोनो योध्दा इस तेजी से चौपाई का पाठ कर रहे हैं मानो सुग्रीव, जामवंत गदा लेकर निशाचरों की सेना में कूद पड़े हैं । चारों तरफ हाहाकार मच गया है । पर बस आधे घंटे तक । फिर नल, नील यानि बब्लू, जगदीश की बारी आयेगी ।

एक घटना बताता हूँ । एक बार हमारे पड़ोस में एक सज्जन के यहाँ लड़का पैदा हुआ तो उन्होंने सभी देवी देताओं के मंदिरों में जा कर उनके दर्शन किये, सबको धन्यवाद ज्ञापित किया और घर लौटकर रामचरित मानस के अखंड पाठ का संकल्प भी लिया । निश्चित दिन पर लाउडस्पीकर आदि टांग दिये गये । निश्चित समय पर पंडित जी ने आकर पूजा पाठ की और गवैयों ने रामचरितमानस का पाठ शुरू किया । दिन भर भक्तों की टीम आती रही और पूरा मुहल्ला श्री राम कथा में डूबा रहा । रात में स्पेशल भक्तोंकी टीम आयी । स्पेशल भक्त वे होते हैं जो कि पैसा लेकर राम चरित मानस का पाठ करते हैं । इनकी आव भगत भी विशेष तरह से करनी पड़ती है ।

रात के एक बज रहे थे । जिन सज्जन को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुयी थी वे सपरिवार निद्रा देवी की अराधना में लग गये । स्पेशल भक्तों को हर आधे घंटे में चाय की जरूरत पड़ती है । उन्होंने देखा कि घर का मालिक सपरिवार सो रहा है और उन लोगों के चाय पानी का इंतजाम भी किसी के मत्थे नहीं है तो उन लोगों को काफी दुख हुआ । दुख की मात्रा इतनी अधिक थी कि वे भावुक हो गये । भावना में बह कर उन्होंने एक काण्ड का पत्ता ही साफ कर दिया । बजरंगबली से प्रेरणा ले कर उन्होंने एक लंबी छलांग लगाई और अयोध्या काण्ड के बाद सीधे किष्किन्धा काण्ड पर जा कर लैंड किया । अरण्यकाण्ड का आधी रात में अपहरण हो गया और किसी को पता भी नहीं चला । आम तौर पर रामचरितमानस का पाठ 24 घंटे का समय लेता है पर उस दिन मानस का पाठ 16 घंटे में ही समाप्त हो गई । सभी लोग खुश । चलो जल्दी खत्म हो गया । पंजिरी चरणामृत बांट कर छुट्टी करो । दूसरे काम-धाम देखो । इस बात की खबर किसी को नहीं लगती पर उसी स्पेशल टीम के एक खिलाड़ी ने दूसरी जगह डींग हांकते हुये ये बात कही कि अगर हमारी आव भगत में कोई कमी रह जाती है और घर का मालिक नादारद रहता है तो हम इसी तरह से रामयण गाते हैं । जब मालिक को ही फिक्र्र नहीं है तो हम कहे फिक्र्र करें ।

सवेरे से रामायण पाठ चित्रहार का मजा दे रहा है । जिस उम्र की टीम आ रही है उस दौर के गाने सुनने को मिल रहे हैं । पिताजी बता रहे हैं ”ये मधुमती फिल्म का गाना है । ये नया दौर का । इस गाने पर तो शम्मी कपूर बहुत उछला था ।” छोटा भाई बता रहा है ”ये गाना वीर का है । ये धुन काइट्स की है ।” ”प्रभू मुझको तुमसे पूरी हमदर्दी है । कल में प्रसाद में दो पत्ते एनासिन के जरूर चढ़ाऊंगा । तुम्हारा सिर दर्द से फटा जा रहा है न । भक्तो के लिये तुमको हमेशा से ही कष्ट सहना पड़ा है । पर इतना तो कभी नही सहे होंगे । फोटो में राम जी सीता जी से कह रहे हैं । ”मैं रावण से सौ बार युध्द कर सकता हूँ पर अब यहां नहीं बैठा जाता है ।”

कोई पॅूछने जाये, भइया ये लाउडस्पीकर क्यों लगा रखा है । रामायण पाठ करो पर अपने घर में करो । पूरे मुहल्ले को क्यों एहसान के तले दाब रहे हो । हम दूसरे काम नहीं कर पा रहे हैं । तो उत्तर मिलेगा ”अनायास ही सही सबके कानों में प्रभू की कथा जा रही है, पुण्य मिलेगा ।” यार हमारे पुण्य के लिये तुम क्यों खट रहे हो । इस वक्त पुण्य नहीं चाहिये अगले हफ्ते से बच्चों के इम्तिहान हैं । नंबर चाहिये ।

ऐसा नहीं है कि मैं रामायण पाठ का विरोधी हँ । बचपन में किस्से कहानियाँ पढ़ने का इतना शौक था कि घर में रखे सारे धार्मिक ग्रंथ, रामचरितमानस, प्रेमसागर, पुराण इत्यादि कक्षा 5 में ही पढ़ डाले थे । कितनी अखंड रामायण में हम माईक प्रेम की वजह से बालकाण्ड से उत्तरकाण्ड तक चिल्लाते रहते थे । लेकिन इस तरह रामायण पाठ से कुछ नहीं मिलने वाला । अपना टाईम तो खराब ही करो ध्वनि प्रदूषण से आस पड़ोस में भी परेशानी खड़ी कर दो ।

श्री राम कथा बिना अर्थ जाने तोते की तरह पढ़ जाओगे तो तोता ही रहा जाओगे । अर्थ समझोगे तो भाव उत्पन्न होंगे । भाव उत्पन्न हुआ तहां बेड़ा पार समझिये । पभू तो भाव के भूखे हैं, कन्वेसिंग के नहीं । रामचरितमानस इतना लोकप्रिय और प्रसिध्द ग्रंथ है क्योंकि इसमें श्रीराम कथा के माध्यम से सामाजिक रहन सहन और स्वच्छ जीवन के असंख्य फार्मूले भरे पड़े हैं । पुरनियाँ लोगों को मानस की ढेरों चौपाइयाँ याद रहती हैं । कोई काम फंसा तो फला चौपई सुना कर मार्गदशन कर दिया गया । मानस तो मर्यादा पुरोषोत्तम की कथा है, जो अवतार ही आदर्श प्रस्तुत करने के लिये लिये थे । इसको एक बार भाव से पढ़िये । भक्ति के सागर में न डूबते उतराते मिलें तो कहिये । अहा! ऐसा वर्णन तो सिर्फ एक भक्त, संत ही कर सकता है । किसी पुराण, वेद, उपनिषद में ऐसा आनंद कहां जो मानस में है । भक्ति की चासनी में लिपटा यह ग्रंथ तो बजरंगबली को भी इतना प्रिय है कि उनको एक बार उस जगह आना ही है जहां राम कथा हो रही है । रामचरितमानस का आनंद लेना है तो किसी भक्त की वाणी से सुनिये । वो स्वंय तो आनंद, भक्ति के सागर में डूबेगा ही आपको भी वह लहरें नहला देंगी ।

भय प्रकट कृपला दीन दयाला कौसल्या हितकारी ।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अदभुत रूप बिचारी ॥

प्रभू एक बार और प्रकट हो जाओ । प्रेस कांफ्रेस बुलवाओ और अपने भक्तों से अपील करो कि लाउडस्पीकर न लगाया करें । डिस्टर्ब होता है । बोलो सियावर रामचंद्र की जय । राम कथा समाप्त होती है । सब लोग आरती ले लें और थाली से छुट्टे पैसे न उठायें ।

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