काम ऐसे करो कि लोग आपको….

किसी दूसरे काम के लिए बोले ही नहीं….

शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

जान है तो जहान है

केंद्र व्यवस्थापक ने डी. आई. ओ. एस. का आदेश न मानने का फैसला कर लिया था । ड्यूटी के दिन वो आराम से अपने ड्राइंगरूम में सोफे पर अधलेटे अखबार पढ़ रहे थे तभी पड़ोसी उनके घर आ टपके । उन्हें आराम करता देख वो बोले ।

‘प्रिंसपल साहब आपको तो केंद्र व्यवस्थापक की ड्यूटी सौंपी गयी थी’ ।

केंद्र व्यवस्थापक मुस्कुराये, ‘हां, ड्यूटी सौंपी गयी थी । डी आई ओ एस का आदेश मेरी टेबिल पर रखा है ।’

पड़ोसी अचरज से बोला ‘तो आप यहां आराम से लेट कर किसका इंतजार कर रहे हैं ?’

केंद्र व्यवस्थापक ने धीरे से आंखे मूंद ली और कहा ‘निलंबन आदेश का इंतेजार कर रहा हूँ । वह शाम तक शायद आ जायेगा ।’?

पड़ोसी ने प्रश्नवाचक नजरों से केंद्र व्यवस्थापक को घूरा, ‘आपने होली के मौसम में भंग तो नहीं पी ली है ? निलंबन कोयी तमगा नहीं । आपको अपनी रोजी की फिक्र करनी चाहिये ।’

प्रिंसपल छूटते ही बोले, ‘उसी की तो फिक्र कर रहा हूँ । जान है तो जहान है । केंद्र के नकलची छात्र पाजामे में कट्टा खोंस कर नकल कर रहे हैं । डी. आई. ओ. एस. तो बहुत करेगा सस्पेंड कर देगा पर उन्हें नकल करने से रोका तो फिर आपकी भाभी को पेंशन मिलने में देर न होगी । मुझे दो खतरो के बीच चुनाव करना था । मैंने चुनाव कर लिया है ।’

 animated-schoor l-image-0064       _=> नकल के लिए भी अक्ल की ज़रूरत पड़ती है…. लगता है यह बात बोर्ड एग्जाम में नकल करने वाले किसी स्टूडेंट ने कही  होगी ….समझ नहीं आ रहा है की  नकल की पुर्ची बनाने के लिए कौन सी किताब का इस्तेमाल करूं. सामाजिक विज्ञान की किताब का या रसायन विज्ञान की किताब का .

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