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रविवार, 19 नवंबर 2017

खाना खजाना – 2

 =>चना जोर गरम बाबू मैं लाया  मज़ेदार, चना जोर गरम ।

कुरकुरे, चटपटे, मसालेदार लईया-चने ।

रेसिपी उर्फ बनाने का तरीका:-

जी, पहले तो आपके घर में एक लोहे की कड़ाही होनी चाहिए जिसमें कि आप चना और लाई भुनेंगे । चाहें तो स्वाद बढ़ाने के लिए 50-100 ग्राम मूंगफली भी भून सकते हैं । अब जब इतना टिटिम्मा कर ही रहे हैं तो दो-चार चीजें और भी भून सकते हैं । खैर । तो पहले तो एक लोहे की कड़ाही का इंतजाम कर लीजिए । उसके बाद एक किलो बालू जिसमें कि पाव भर पिसा नमक पड़ा हो उस कड़ाही में डाल कर गर्म कर लें । अब बारी बारी से लाई-चना उसमें डाल कर भून लीजिए । पहले लाई भुनेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा क्योंकि इस को आंच कम चाहिए होती है । उसके बाद चने और मूंगफली को कड़ाही में डाल कर भून डालिये । ठीक । अब एक दूसरे बड़े बर्तन में चने और मूंगफली को डाल कर किसी भारी चीज से दर लीजिए, जिससे कि उनके छिलके निकल जायें । ठीक है । छिलके निकालना इस लिए जरूरी होता है क्योंकि इससे पेट में अपान वायु बनने लगती है और अगल बगल वालों से ये बात छिपी नहीं रहती कि आज शाम आपने किस चीज का नाश्ता किया था । इसके अलावा चने के छिलकों से कुष्ठ रोगी के कुष्ठ में आशातीत वृद्धि हो सकती है । तो चने के छिलके दर कर निकाल लें । छिलके निकालने के लिए आपको एक सूप की भी जरूरत पड़ेगी और सूप पछोरना भी आना चाहिए । फिर इन सब कामों में तो घर की महिलाएं बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती हैं । अच्छा अब आपके भुने हुए लाई, चने और मूंगफली का नाश्ता तैयार है । इसमें 8-10 बूंद कड़ुवा तेल और एक प्याज बारीक कतर कर मिला लीजिए । इसको अब आप एक प्लेट में नमक, हरी मिर्च और हरे धनिये की चटनी के साथ सर्व कीजिए । खाने वाले वो चटकारे ले-ले कर खायेंगे कि आप भी क्या याद करेंगे ।

यदि घर में लोहे की कड़ाही और बालू वगैरह नहीं है और आप ये सब कसरत भी नहीं करना चाहते हैं तो फौरन बाज़ार की तरफ कूच कर जाईये और किसी भड़भूंजे से पाव भर भुने हुए लइया,चने, मूंगफली 10-15 रू0 में खरीद कर जल्द से जल्द घर वापस आ जाईये, ताकि गर्मागर्म लइया चना ठंडा न हो जाये और आपकी तमाम कोशिशों पर पानी न फिर जाये । काहे कि गर्मागर्म लइया, चने की बात ही कुछ और होती है । अब आराम से ड्रांइग रूम में सोफे पर पसर कर, टी.वी. पर मैच देखते हुए या कोई बकवास फिल्म देखते हुए या न्यूज़ चैनल पर कोई फर्जी न्यूज देखते हुए गर्मा गर्म कुरकुरे मसालेदार लइया, चने नोश फरमायें ।

और हां ! बूढे-बुजुर्गों को हिदायत दीजियेगा कि थोड़ा आराम से खायें क्योंकि कुछ कुछ चने साले वाकई में दुष्ट प्रकृति के होते हैं और अकेले ही भाड़ फोड़ने की फिराक में लगे रहते हैं । ऐसे में बुजुर्गों का अति उत्साह उनके हिल रहे दांतों पर भारी पड़ सकता है, जिसका अंजाम बाद में डेन्टिस्ट को तगड़ी फीस देकर और उस मरियल दांत से हाथ धोकर (मुंह धोकर) भुगतना पड़ सकता है ।

तो ये था आजका ज्ञानवर्धक खाना खजाना । मिलते हैं अगले भाग में, लेकर एक और नई लज़्जतदार, शानदार रेसिपी के साथ । तब तक के लिए नमस्कार ।

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