काम ऐसे करो कि लोग आपको….

किसी दूसरे काम के लिए बोले ही नहीं….

रविवार, 19 नवंबर 2017

अब दिखा बचके भगवान

भगवान बहुत चालू चीज होता है मित्रों । कहते हैं कि भगवान कण कण में छिपा है । तो ढूंढने वालों ने मैग्नीफाइंग लेन्स लेकर पहले तो जितने प्रकार के कण हो सकते थे, उनमें ढूंढा । भगवान जी थोड़ा महीन टाईप भगवान थे, नहीं मिले । फिर जब माइक्रोस्कोप का अविष्कार हुआ तो एक बार फिर ढूंढाई चालू हुयी । इस चक्कर में साला अणु, परमाणु, न्यूट्रान, प्रोटान, इलेक्ट्रान, क्वाट्र्ज, एक से बढ़ कर एक ससुरे घर-घुस्सू मिल गये लेकिन वो नहीं मिला जिसे भगवान कहते हैं । लगे रहे वैज्ञानिक भाई लोग ढूंढने में। कभी अपने खर्चे पर, कभी सरकारी खर्चे पर ।

पिछले दिनों जिनेवा में महामशीन का प्रयोग सफल हो गया । वैज्ञानिक दशकों से प्रयोगशाला में बिग बैंग जैसी परिस्थिति पैदा करने में लगे हुये थे । कई बार बिगड़ने के बाद साइंसदानों ने मार ठोंक-पीट कर एल0एच0सी0 मशीन को अंत में चला ही दिया । 27 किलोमीटर लंबी मशीन में प्रोटान के कणों की प्रकाश की गति से आपस में टक्कर करायी गयी । साइंसदानों का मानना है कि इस टक्कर से सबसे सूक्ष्म भौतिक कण ‘हिग्स बोसोन’ जिसे “ब्रह्मकण“ भी माना जा रहा है अंत में बिलबिला कर बाहर निकलेगा ।

तो मित्रों, जैसा कि समझा जा रहा है ‘हिग्स बोसान’ ही असल में वह कण है जिसमें परमात्मा उर्फ ब्रह्म या कहिये कि भगवान जी विराजमान रहते हैं, अब वह सामने आ जायेगा । तो मित्रों, अब वो समय दूर नहीं जब सस्ती दरों पर छोटी व हल्की एल0एच0सी मशीनों का निमार्ण हुआ करेगा और हम अपने पूजा घर के अलावा, ड्राइंगरूम, बेडरूम, बाथरूम, किचेन, स्टोर, कार के डेशबोर्ड पर और यहां तक कि गाड़ियों की नम्बर प्लेट के ऊपर भी एक दम 24 कैरेट के शुद्ध भगवान फैविकाल से चिपका कर चलेंगे ।

मजा आ जायेगा । सारा वातावरण भगवानमय होगा । उस चोर की तरह छिपे भगवान को हम एक दम से एक्सपोज कर देंगे और जब जरूरत होगी, मतलब भर का आशीर्वाद या वरदान मांग कर काम पर चल देंगे । नास्तिक सालों की बैण्ड बज जायेगी (कम्यूनिस्टों की भी) और पण्डितों का धंधा सरपट दौड़ने लगेगा । पण्डितजी लोग तब सालिग्राम की गोली की जगह छोटी से एल0एच0सी मशीन डिब्बी मे धर कर, तिलक लगा, स्कूटर पर बैठ जजमानों की अंटी ढीली करने निकलेंगे ।

अदालतों में गीता, कुरान, बाइबिल की जगह एल0एच0सी मशीने ले लेंगी । गवाह कहेगा ”मैं एल0एच0सी मशीन को हाजिर नाजिर मान कर सच कहूंगा । सच के सिवा कुछ नहीं कहूंगा क्योंकि इस कटघरे में खड़े होकर जो भी कहो सच मान लिया जाता है ।“

कलैण्डर छापने वालों और मूर्तियां बनाने वालों के धंधे में कभी न खत्म होने वाला रिशेसन आ जायेगा । मंदिरों, गिरजाघरों, मस्जिदों और गुरूद्वारों में या तो ताले लग जायेंगे या फिर वहां बड़ी बड़ी एल0एच0सी मशीनें लगा दी जायेंगी । ये भी हो सकता है कि मंदिरों के ऊपर बड़े बड़े अक्षरों में ”नक्कालों से सावधान“ का बोर्ड लगा मिलने लगेगा ।

लेकिन मित्रों एक दिक्कत फिर भी आ सकती है । धार्मिक ग्रंथों में ये भी लिखा है कि जो परमतत्व परमात्मा है, असली वाले, वो बिचारे सिर्फ ”दृष्टा“ हैं । बस देखते रहते हैं । करते कुछ नहीं हैं । या तो एक नम्बर के आलसी टाईप भगवान हैं या फिर बहुत समय से फालिस के शिकार हैं। काम करने के लिये उन्होंने एक आया रख छोड़ी है जिसे कुछ लोग माया कहते हैं (और मुलायमसिंह जी मायावती कहते हैं) । बिना माया के ईश्वर में कुछ हरकत नहीं होती है । एक दम्मै से बेड रेस्ट पर रहने वाले मरीज की तरह । तो जो भगवान खुद उठकर एक गिलास पानी भी नहीं पी सकता ऊ इंसानों का दुख कैसे दूर करेगा । ये ”दृष्टा“ वाली बात कुछ सही भी लगती है क्योंकि भगवान हो कर कोई भूकंप, सुनामी, आतंकवाद, गरीबी, बीमारी वगैरह जैसे शैतानी काम क्यों करेगा जिससे लाखों करोड़ों लोग टैं हो जाते हैं ।

तो यह बात पक्की की भगवान किसी काम के नहीं होते हैं । वो खुदै एक तरफ पड़े रहते हैं । सारा काम तो माया मैम साहब करती हैं । जिन्हें काम करने से मतलब । अगर पृथ्वी पर प्रलय आती है और आदमी ससुरे जबरदस्ती मर मरा जाते हैं तो वो क्या करें । वही सरकारी ठसक । चाहे मायावती वाली मानें या फिर सोनिया गांधी वाली ।

तब फिर क्या होगा । कुछ नहीं दीपावली पर फिर गणेश लक्ष्मी की पूजा करनी पड़ेगी क्योंकि वो एल0एच0सी मशीन वाले तो मशीन के अंदर कड़कड़ाकर रह जायेंगे और हम लोगों को सिर्फ दृष्टा के दर्शनों का ही लाभ मिलेगा और कुछ नहीं । तब ? तब क्या ! स्टूडेंट लोग फिर सरस्वती मंत्र का जाप करना शुरू कर देंगे और इम्तिहान में अगर क्वेश्चन नहीं फंसे तब बजरंगबली को मत्था नवाया जायेगा । यानी की लौट कर बुद्धू घर को वापस वाली पोजीशन हो सकती है । तब क्या एल0एच0सी मशीन तैयार करने में लगें अरबों खरबों रूपये डूब जायेंगे ? पूरे नहीं डूबेंगे क्योंकि मार्केट तो सभी मशीने बेच चुका होगा । मशीन की पूरी गारण्टी रहेगी पर काम पूरा होने की नहीं । अंत में उपभोक्ता बेचारा ब्रह्मलीन हो कर रहेगा क्योंकि सिर्फ दृष्टा वाले ब्रह्म को देख देख कर अंत में उसकी भी तो वही गति होनी है । एक मजबूर दृष्टा की । दोनों लोग एक दूसरे को देखते रहो । भक्त और भगवान का मिलन हो जायेगा और भक्त सारे काम काज छोड़ कर सिर्फ मूक दृष्टा भर रह जायेगा ।
धत्त तेरे की । घूर घूर कर साली आंख पिराने लगी । बस करो । जरा टी0वी0 पर आस्था लगाना । रामदेव जी अनुलोम विलोम करवा रहे होंगे ।

<=यूरेका यूरेका ! अब तो अपन भी ब्रह्मास्मि ।
<=अबे काहे का भगवान ! किसी काम तो आता नहीं, बैठे बैठे बिजली का बिल ऊपर से बढ़ाता है अलग ।

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