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शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

नगर निगम के छुट्टा जानवर

नगर निगम का पशुधन विभाग अफवाह फैलाने में महारत हासिल कर चुका है । हिटलर के प्रचार मंत्री गोयबेल्स की तर्ज पर नगर निगम की प्रेस रिलीज तैयार करने वाले अफसर मानते हैं कि एक झूठ को अगर बेहयाई से सौ बार दोहराया जाए तो वही सच साबित हो जाता है ।

चंद दिनों पहले प्रशासन ने नगर निगम को सख्त हिदायत दी थी कि अगर सड़कों से 25 अवारा जानवरों को रोजाना नहीं पकड़ा गया तो नगर निगम के अफसरों के खिलाफ सख्त कारवाई की जायेगी । अगले दिन अखबार में बयान जारी हुआ कि नगर निगम ने एक दिन के अंदर छप्पन छुट्टा जानवर पकड़कर कांजी हाउस में बंद कर दिये हैं।

 जानकीगंज चौराहे पर छुटभैया नेताओं की गोष्ठी में इस खबर पर बहस होने लगी । एक ने कहा, ‘गुरू, नगर निगम पिछले कई महीनों से छुट्टा जानवरों को पकड़ने की खबर छाप रहा है, लेकिन सड़कों पर उनकी तादाद कम नहीं हो रही है । छुट्टा जानवर रक्तबीज की तरह बढ़ते ही जा रहे हैं ।’

गुरू ने नेताजी की तरफ निहारते हुये सुर्ती ठोंक कर मुंह में डाली फिर बोले, ‘बेटा तुम नगर निगम के बयान का गलत अर्थ निकाल रहे हो । नगर निगम के रिश्वतखोर कर्मचारी वसूली के लिए हर रोज सड़कों और मुहल्लों में घूमते हैं । उनके वापस लौटने पर नगर निगम उन्हें छुट्टा जानवरों में गिन लेता है । अगले दिन वे फिर छुट्टा चरने के लिये छोड़ दिये जाते हैं । अखबार में छपी हर खबर को दिल से नहीं लेना चाहिये । कभी कभी भेजे का भी इस्तेमाल करना चाहिये ।’

नेता जी ने पनवाड़ी से एक जोड़ा पान कच्ची सुर्ती सहित बंधवा कर मुंह में दबाया और गुरू को शाश्वत ज्ञान देने के लिये धन्यवाद स्वरूप ‘पैलगी’ कर के स्कूटर से अपने ऐरिया की तरफ बढ़ गये ।

=>हरिया जी आज फिर आप सडक पर गाय दुहने लगे. इधर आपकी कलावती भैंस, साहब की बुलेट का सीट कवर खा गयी….आज फिर आपको ५०० रूपये जुर्माना देना होगा कल की तरह. कांजी हाउस जाने की ज़रूरत नहीं है….यही पैसे दे कर मामला  रफा दफा कीजिये.

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