काम ऐसे करो कि लोग आपको….

किसी दूसरे काम के लिए बोले ही नहीं….

शनिवार, 18 नवंबर 2017

वैलेंटाइन डेज़ स्पेशल

 

आदरणीया ममता जी,

सादर प्रणाम, आगे समाचार यह है कि ‘देखिये बुरा मत मानियेगा‘ कंबख्त वैलेंटाइन डे साला फिर आ गया । पिछले साल आपने जो हड़काया था मुझे खूब याद है । पर एक साल के अन्दर मुझे आपके अन्दर काफी बदलाव नजर आया है । आपने पिछले छ: महीने से मुझे देखकर मुॅह बिचकाना बन्द कर दिया है हालांकि मामला अभी भी टेंस है पर वैलेंटाइन डे का मौका फिर आया है तो चूकना नहीं चाहिये । देखिये खत के साथ मैं एक लाल गुलाब भी भेज रहा हूॅ और साथ में एक राखी भी है । दोनो कीमती है, कृपया नाली में मत फैंकियेगा । अगर आपको मैं यानी जगदीश प्रसाद उपाध्याय ”जग्गू जी” में जरा भी इन्टरेस्ट है तो वह लाल गुलाब आप पुलाव में डाल कर खा जाइये । मैं समझूॅगा कि मेरा प्यार हजम हो गया । नहीं, तो फिर आप उस  राखी  का ही प्रयोग  करें ।   बदले मे मैं आपको एक साल तक एक भाई का स्नेह दूॅगा पर सिर्फ अगले वैलेंटाइन डे तक ।

एक दया मुझपर और करियेगा कि यह खत अपने भाई दारासिंह को मत दिखलाइयेगा । नहीं तो वो मेरी 206 हड्डियों को 412 में तबदील कर देगा । आपके पिता जी का प्रेम तो मैं पिछले साल ही देख चुका हूॅ । मेरी नाक की हड्डी अभी भी वैसी ही है जैसी पिछले साल थी । तुम्हें पहलवानों के खानदान में जनम नहीं लेना चाहिये था । आपसे करबध्द हो कर सविनय निवेदन करता हॅू कि ममता जी मुझ पर ममता दिखाइये । सिर्फ दिल तोड़ने तक ही सीमित रहियेगा । मेरे हाथ पांव पर तरस खाइयेगा । बीमा वाले भी ऐसी किसी टूट फूट का बीमा नहीं करते ।

आपकी राह देखता ‘भाई लेकर मत आना‘

जगदीश प्रसाद उपाध्याय ”जग्गू जी”

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कल की बात पुरानी : भाग -1

पृथ्वी पर तीन रत्न हैं – जल, अन्न और सुभाषित । लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं । – संस्कृत सुभाषित   ब...