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शनिवार, 18 नवंबर 2017

खाना खज़ाना : ३

मीठे मज़ेदार अमरुद

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अमरुद किसे अच्छे नहीं लगते. पके पीले अमरुद, लाल चिट्टेदार अमरुद, इलाहाबाद के रसीले अमरुद. अमरुद में बहुत गुण होते हैं. गुण का मतलब गन्ने से बना गुड़ नहीं, गुण मतलब खूबियाँ. आप भी न. खैर. अमरुद पेट साफ़ करता है. अमरुद में तमाम विटमिन्स होते हैं. लो जी. मैं बता रहा हूँ तो आप अब खुद बताने लगे की विटामिन सी भी होता है…..होता है. सब होता है.

अमरुद खाने का मज़ा तो देखिये साहब जाड़े में ही आता है…..बढ़िया पीले मीठे अमरुद लेकर छत पर पहुँचिये. पड़ोसी के नए स्वेटर की नाप पर टिप्पड़ी कीजिये. भले ही वो स्वेटर आपको अच्छा लग रहा हो पर पड़ोसी धर्म भी तो कोई चीज़ होती है…………. “यह कलर आप पर जम नहीं रहा है ” या “थोडा और बड़ा होता तो अगले साल भी चल जाता, एक धुलाई में कुछ सिकुड़ेगा” जैसे तौहीन करने वाले कमेंट उछाल कर आप तो चटाई बिछाईये धूप में………अब पुड़िया में धरा काला नामक खोलिए. चमकदार अमरुद निकालिए और तेज कातिलाना चक्कू से उसके ऊपर से चार टुकड़े करिए…….बहुत ही धैर्य के साथ ये सारा काम करना होता है वर्ना टुकड़े एक साईज के नहीं कटेंगे…..अब उसमें चुटकी भर काला नामक ऊपर से छोड़िये…बस और क्या चाहिए…..एक हाथ में कटी हुयी अमरुद की फांक और खुला हुआ आपका मुंह. मुंह ऊपर करके अमरुद की वह फांक या टुकड़ा अपने मुंह में डाल लीजिये और बढ़िया ताज़े इलाहाबादी अमरुद का आनंद उठाईये……मुंह ऊपर करते वक्त एक नज़र आसमान पर भी डाल लीजियेगा क्योंकि हो सकता है की कोई मुई चील अभी अभी सो कर उठी हो और दिशा-मैदान के लिए इसी तरफ निकली हो……आपके खुले हुये मुंह से उसे कमोड का धोखा भी हो सकता है…..आगे आप खुद ही समझदार हैं. और समझदार को इशारा काफी होता है…….

अमरूद खाने के दो तरीके होते हैं.. एक तो मुंह में डाला, चबाया और गटका.
दूसरा तरीका है रामदेव जी वाला. वही जो बाबा रामदेव जी बताते हैं कब्ज के इलाज के लिए. पहले अमरुद का गूदा मुंह में ही जीभ की सहायता से अलग कर लीजिये…..गूदा अलग और बीज अलग……इसको करने के लिए बाबा एक नए आसन को बताते हैं “जिब्भासन”. इसके लिए भी बहुत प्रयास की आवश्यकता होती है…..अब आप गूदे को गटक जाईये और बीज को मुंह में जीभ की सहायता से अलग कर लीजिये, बीज को दांत से काटिए नहीं और उसे भी गटक जाईये. बीज अंतड़ियों की सफाई ढंग से कर देते हैं. इस सारी प्रक्रिया से सुबह पेट ढंग से साफ़ होता है…….

क्या कहा आपने..रेसिपी ?……..यही तो रेसिपी थी……मीठे लज़ीज़ अमरुद की.
अच्छा चलिए आपको सामग्री बता देता हूँ.
१. बढ़िया आधा किलो ताज़े पीले चित्तीदार अमरुद आपको पड़ोसी के घर से तोड़ने हैं वह भी उसको बिना बताये (मतलब चुपके से, किसी की निगाह में आये बिना)…..क्या कहते हैं ..ये चोरी है…….धत्त……..आप भी न……अच्छा मेहनत का फल मीठा होता है न…….तो फिर मीठे अमरुद की मिठास तो और भी बढ़ जाएगी जब आप इतनी मेहनत करेंगे उसे चुपके से तोड़ने में. एक एकाध बार पकडे जाने पर पिटाई हो सकती है पर अनुभव भी तो कोई चीज़ है की नहीं. ऐसे ही नहीं अनुभव कमाया जाता है……लो जी रेसिपी बताते बताते आपको लाख टके का अनुभव भी बता दिए……..संतों की संगत का यही तो फायदा है. 
२. तेज़ नुकीला चक्कू. (अमरुद काटने के लिए और बीच बीच में पड़ोसी को दिखने के लिए)
३. एक पुड़िया काला नमक.
४. चटाई.
५. जाड़े की धूप (न हो तो ड्राईंग रूम में टी वी के सामने बैठ कर भी काम चल जायेगा.)
६. अगर मुंह में दांत न हो तब एक जोड़ा बत्तीसी………अमरुद के बीज चबाने के लिए.
७. चोरी के अमरुद न मिल पाए तब ठेले से खरीद के भी काम चला सकते हैं.

मज़ा लीजिये लज्ज़तदार अमरूदों का…….अगली क़िस्त में एक नई रेसिपी के साथ मिलेंगे ……….तब तक के लिए नमस्कार.

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