काम ऐसे करो कि लोग आपको….

किसी दूसरे काम के लिए बोले ही नहीं….

शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

जनसंख्या वृद्धि दिवस का कर्मकांड

विश्व जनसंख्या दिवस के उपलक्ष्य में जिला सरकारी चिकित्सालय के सभागर में आयोजित संगोष्ठी कई मायने में काफी दिलचस्प रही । आडिटोरियम में जनसंख्या विस्फोट से चिन्तित लोगों की संख्या उंगली पर गिनी जा सकती थी । लगभग पच्चीस पुरूषों के मुकाबले पैंतालीस महिलाएं संगोष्ठी की शोभा बढ़ा रही थीं । जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी  अपने ही दफ्तर में स्टॉफ के घेराव से त्रस्त होकर गोष्ठी में शिरकत नहीं कर सके ।

इस आयोजन का सारा कर्मकाण्ड हर साल की तरह परम्परागत तरीके से पूरा किया गया । मौके पर मौजूद लोगों की संख्या कम थी, इसलिये ठंडी बोतलों का दौर कई बार चला । आयोजन का कवरेज करने आये एक रिपोर्टर ने  बगल में बैठे डाक्टर से से कहा, ‘जनसंख्या कम होने का एक फायदा तो साफ नजर आ रहा है । अगर इस आयोजन में सारे आमंत्रित शामिल होते तो आपको चौथी बार ठंडी बोतल पीने का मौका नहीं मिलता ।’

डाक्टर छूटते ही बोला, ‘जी हॉं, इस मीटिंग में महिलाओं की संख्या पुरुषों  से ज्यादा है । क्या इससे साबित नहीं होता कि महिलाओं को बढ़ती आबादी की फिक्र ज्यादा है ।’

पत्रकार ने पलटवार किया, ‘डाक्टर साहब, एक सलाह देना चाहूॅंगा । इस मौके पर हर साल मीटिंग करने की जरूरत नहीं है । आप एक साल भाषण देने वालों की अच्छी अच्छी बातें रिकॉर्ड कर लीजिए और उसे हर साल सुनाते रहिये । काम आसान हो जायेगा ।’

दूसरा पत्रकार जोर से हंस पड़ा, ’सुझाव तो अच्छा है । लेकिन हर साल फिर ठंडा पीने का मौका कैसे मिलेगा ।’

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=>एक को चुप कराओ तो दूसरा रोने लगता है…..सोचिये देश की कितनी ऊर्जा इन्हें चुप कराने में ही खर्च हो जाती होगी….

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