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मंगलवार, 21 नवंबर 2017

ऋण लेकर घी पियो और मर जाओ

 

 

 

 

=> हे भगवान सारा खाया पिया गायब हो गया. बस हड्डियां ही बची हैं.


मित्रों, चारवाक मुनि अब इतने भी बेवकूफ नहीं थे कि खाने पीने की चीजों को देख कर मुंह फेर लें । एक दम स्वस्थ, रामदेवजी के माफिक । लेकिन चारवाक मुनि को इस बात का ज्ञान हो गया था कि भारत देश में ऐसा भी समय आयेगा जब इंसान वनस्पति घी और रिफाइंड तेल पी कर सचमुच ही इस बेवजह के संसार से तड़ी हो जायेगा इसी लिए उन्होंने कहा था यावत जीवेत, सुखं जीवेत, ऋणं कृत्वा, घृतं पीवेत । भाई साहब, मरने का मजा तो तब है जब मिट्टी पर रोने वाले के आंसुओं से बाढ आ जाये । जी, जी, वही । परपीड़न प्रवृत्ति । तो घर वाले, सगे संबन्धी तो रोते ही हैं, मगर और लोग नहीं रोये तो क्या फायदा अपनी जान देने का । तो ज्यादा से ज्यादा लोगों को रूलाना है तो अधिक से अधिक लोगों से कर्ज उठाईये । अब मिट्टी पर साला कर्ज देने वाला भी रोयेगा । हाय जोखू सिंह, इत्ती भी क्या जल्दी थी मरने की ।

तो मित्रों, भारत सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय भी चारवाक दर्शन से अभिभूत है । अब यूपीए सरकार ने तो साढे चार साल में देश की जितनी तरक्की करनी थी, कर दी, लेकिन देश हे कम्बख्त ससुरा अभी भी विकासशील का विकासशील ही बना हुआ है । तो फिर ये दिमाग लड़ाया गया कि अगर हर नागरिक को अमीरों वाली बीमारी हो जाये तब सभी अमीर हो जायेंगे और देश भी विकसित देशों की कतार में आ जायेगा । तो मित्रों, दिल की बीमारी बड़े लोगों की बीमारी होती है । इस बीमारी को जन जन तक पंहुचाने के लिए सरकार ने बहुत पहले ही कमर कस ली थी लेकिन इसका खुलासा अब जाकर हुआ है । स्वास्थ मंत्री रामदास ने अभी यह स्वीकार किया है कि देश में बिकने वाले 98 प्रतिशत वनस्पति घी और रिफाइंड तेल में ट्रांस फैट का अनुपात डब्लयू. एच. ओ. के मानकों से 15 से 20 गुना ज्यादा है । ट्रांस फैट हार्ट अटैक की सबसे बड़ी वजह माना जाता है क्यूंकि यह हमारे शरीर की धमनियों में जम जाता है । और मित्रों, इस जानकारी के साथ ही स्वास्थ मंत्री ने इस पर रोक लगाने से इंकार भी कर दिया है । वो कहते हैं कि एकाएक इस पर रोक लगा देने से देश में अव्यवस्था फैल जायेगी ।

मित्रों, हमारे देश में जिस तरह से पेट्रोल, डीजल का आयात किया जाता है उसी तरह से इस कृषी प्रधान देश मे बड़ी भारी मात्रा में खाद्य तेल का भी आयात किया जाता है जिसे हम पाम ऑयल के नाम से जानते हैं । हम अपने खाने लायक खाद्य तेल का उत्पादन इस लिए नहीं कर पाते हैं क्यूंकि हमारे कृषी मंत्री का सारा दिमाग बी. सी. सी. आई. का चैयरमेन कैसे बनें इसकी जुगत में लगा रहता है । इस पाम ऑयल से ही सभी वनस्पति घी और रिफाइंड तेलों का निमार्ण किया जाता है । वनस्पति घी और रिफाइंड ऑयल के धंधे में सिर्फ दो अमेरिकी कम्पनियों की मोनोपॉली चलती है – हिन्दुस्तान लीवर और इंडियन टुबैको कं. । देश में इनका बनाया हुआ वनस्पति घी और रिफाइंड ऑयल जिसमें भारी मात्रा में ट्रांस फैट मौजूद रहता है,बिकता रहे और स्वास्थ्य मंत्रालय सोता रहे, इसके लिए कितने प्रतिशत पर सौदा तय हुआ होगा ये विपक्षी पार्टियों के लिए शोध का विषय है । पाम आयल को पचाने के लिए हमारे शरीर का तापमान 45 डिग्री सेंटिग्रेट होना चाहिए जबकि शरीर का तापमान 35, 36 डिग्री सेंटिग्रेट से अधिक नहीं होता है जिसके कारण ये पाम ऑयल हमारे शरीर में जमा होता रहता है और एक दिन जब हम ऑफिस की सीढी चढते चढते हांफने लगते है तब डाक्टर बताता है कि आपके शरीर में केलस्ट्राल की मात्रा बढ गई है, हार्ट अटैक का खतरा मंडरा रहा है, घी खाना छोड दीजिए और रिफाइंड का प्रयोग कीजिए । लेकिन साहब, वो रिफाइंड तेल भी तो उसी पाम ऑयल से ही बनता है जिससे वनस्पती घी बनता है । इसी के साथ ही स्वास्थ मंत्री ने ये भी स्वीकार किया कि देशी घी और अमूल मक्खन में ट्रांस फैट का मात्र 3 प्रतिशत होता है ।

अब सवाल ये है कि भारतवासी वनस्पति घी, बाज़ार में बिकने वाले मिलावटी देशी घी और रिफाइंड तेल का सेवन न करें तब फिर क्या करें । घर में बने हुए देशी घी में ट्रांस फैट नहीं के बराबर होता है । इसी तरह से सरसों का तेल, सूरजमुखी का तेल, तिल का तेल इनमें भी ट्रांस फैट नहीं होता है लेकिन सोयाबीन के तेल में ट्रांस फैट की मात्रा ज्यादा होती है । तो मित्रों, हमारे स्वस्थ स्वास्थ्य मंत्री ने तो अपने दोनों हाथ और दोनों पैर भी खड़े कर दिये हैं कि हम एकाएक पाम ऑयल पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते हैं लेकिन अगर आप अपने दिल को अगले वैलेंटाइन डे तक संभाल कर रखना चाहते हैं तो तुरंत ही वनस्पति घी, रिफाइंड तेल और बाजारू देशी घी से तौबा कर लीजिए । इसके अलावा एक सीधी और सरल बात ये भी है कि रेस्टोरेन्ट्स,होटलों, ढाबे वालों और चाट वालों ने भी आपका कोई कर्जा नहीं खाया है कि वो आपके हृदय का ख्याल रखते हुए वो घर का बना देशी घी प्रयोग करेंगे । उनको जो भी सस्ता तेल या घी मिलेगा, वो उसी से अपना काम चलायेंगे । इसके साथ ही शादी बरात और दूसरी पार्टियों में भी इसी पाम ऑयल से बने घी और रिफाइंड तेल का इस्तेमाल होता है । अब अगर आप वाकई चारवाक मुनि के दर्शन को मानने वाले हैं तब शौक से वनस्पति घी और रिफाइंड तेल पीजिए और मर जाइये । और हाँ, कर्जा लेना मत भूलियेगा ।

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