काम ऐसे करो कि लोग आपको….

किसी दूसरे काम के लिए बोले ही नहीं….

शनिवार, 18 नवंबर 2017

मन भावन घर जमाई उपलब्ध है

मित्रों, आज बापजी ने हमको सवेरे-सवेरे फिद जायदात से बेदखल करने की धमकी दी । कारण वही पुराना घिसा पिटा था कि हम अव्वल दर्जे के नालायक इंसान है । ये कोई नई बात नहीं है क्योंकि अगर ये क्वालिफिकेशन किसी कुल दीपक में नहीं है तो वो अपने बाप की औलाद नहीं है । हर बाप अपने बेटे को इसी प्रचीन कसौटी पर कसता है । अगर लड़का नालायक नहीं निकला तो फिर वह डी. एन. ए. टेस्ट भी करवा सकता है । फिलहाल हर पूत अपने बाप की निगाह में किसी न किसी एंगल से कपूत ही होता है । मेरी बात पर विश्वास न हो तो एक सौ एक बापों का इंटरव्यू लेकर देख लो । सब बाप अपने लड़कों के बाप होते हैं अत: अगर साढ़े निन्यानबे गुण लड़के के बतायेंगे तो प्वांइट फाइव दोष भी बतायेंगे, नेशनल बाप महात्मा गांधी की कसम । फिलहाल तो मैं बाप होने के प्राकृतिक दोष से बहुत दूर हँ क्योंकि अभी तक मैं अपनी बारात में नहीं गया हँ ।

तो मित्रों, रोज रोज की चिक चिक से तंग आकर मैंने एक एंटीबापटिक फार्मूला खोज निकाला । सोचा अपने अविवाहित पन को ही कैश करा लँ । अपने हिंदुस्तान में आदमी जब तक कुंवारा रहता है, चाहे कितना ही ऐबी क्यों न हो लड़की के बाप के लिये वह सदा से पूज्य रहा है । हर आदमी के दो बाप होते हैं । अक तो वह जो उसकी अम्मा का हसबैंड होता है और वक्त बेवक्त पूत की डंडे से आरती भी उतारा करता है । दूसरा वह जो उसकी पत्नी का बाप होता है । वह आजीवन उसके चरणों में दंडवत रहता है (हालांकि आज कल इस नस्ल में भी कहीं कहीं शिकायत आ रही है । पर वह अपवाद है ) यह एक दुधारू नस्ल का जीव है । अपनी लड़की तो देता ही है गुलामी करने के लिये, जीवन भर वह लड़के वालों के द्वारा दुहा भी जाता है । यहाँ पर हम ससुर की तुलना गाय से कर सकते हैं जो कि दूध भी देती है और अपने बच्चे, एक और गाय (लड़की) की भेंट भी चढ़ाता है जो कि सिर्फ चारा, भूसा, और कपड़ों की पगार पर गृहस्थी की चक्की में पिसती रहती है । यहाँ लड़का शासक वर्ग है और लड़की शोषित वर्ग है ।

मैंने काफी देर चिंतन किया जिससे मुझे निद्रालाभ हुआ । दिमाग पर बोझ डालने की मेरी आदत नहीं है । निर्णय लिया गया कि पुरूष वर्ग ने नारी वर्ग पर काफी अत्याचार किये हैं जिससे उसके खाते में काफी पाप चढ़ा हुआ है अत: उस पाप का प्रायश्चित करने के लिये मुझे पहल करनी चाहिये ताकि नारी जाति भी हम पर उतना ही अत्याचार करके पाप कमाने की प्रतियोगिता में कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़े । तभी तो नारी मुक्ति आंदोलन को बढ़ावा मिलेगा । वैसे कुछ घरों में लक्ष्मी स्वरूपा, दुर्गा और काली का रूप धारण कर के ऐसे बर्तन फोड़ती हैं कि घर के चूल्हे तक अलग हो जाते हैं । लकिन ऐसी कुछ क्रांतियों से पाप की बैलेंसशीट में स्त्रीयों की राशि पुरूषों के बराबर नहीं हो सकती है । बैलेंसशीट मिलने के लिये नारी को मुक्ती देनी ही पड़ेगी ।

नारी को मुक्ति देने का एक युगांतकारी फार्मूला मेरी खोपड़ी में आया है, वह यह कि शादी के बाद वधुओं को ससुराल जा कर रहना पड़ता है इस प्रथा को बदल कर अगर वर ही अपनी ससुराल में जीवन भर रहे तो कैसा रहेगा । जाये घोड़ी पर आये अर्थी पर । थोड़े दिन ससुराल में कितना मजा आता है अगर पूरी जिंदगी बितानी पड़े तो मजे ही मजे हैं । यहाँ पर मैं यह कहना चाहॅूंगा कि कुछ फिल्मों में जमाइयों का हश्र देख कर उसे वास्तविक नही समझना चाहिये । वो तो कहानी की मांग होती है । एक प्रोडयूसर आखिर जमाई को कितने दिन तक ससुराल में रख सकता है । इतना बड़ा कलेजा तो एक ससुर का ही हो सकता है । फिर भी अगर कोई शंका हो तो पहले से ही कांट्रेक्ट कर लेना चाहिये । जैसे ससुराल में जमाई पर अत्याचार नहीं होगा । स्कूटर, टीवी, फि्रज ना लाने के लिये ताना नहीं मारा जायेगा । उसको मिट्टी के तेल से जलाया नहीं जायेगा । जमाई को दामाद की तरह नहीं बेटे की रखा जायेगा । घर के काम काज, झाडू-पोछा, बर्तन, खाना बनाना, कपड़े धोना आदि काम जमाई से नही लिया जायेगा । और अगर ससुरजी राजी हो तो कछ मासिक रकम जमाई अपने घर भी भेज सकता है । आखिर वह अपने बूढ़े माँ बाप की बुढ़ापे की लाठी भी तो है । कोई फ्री में तो जमाई बनेगा नहीं ।

अत: मैंने सोचा कि मैं बापू को अपने पैर पर खड़ा हो कर दिखा दूँगा और मैंने अपने जमाई बनने के लिये टेंडर बुलाने का निर्णय लिया । समाचार पत्र के ”वर वधु चाहिये” सामाजिक कल्याण प्रोगाम के तहत मैंने अपना विज्ञापन देने की ठानी । उस विज्ञापन का मजमून कुछ इस प्रकार था ।

मन भावन घर जमाई उपलब्ध है

सरयूपारी ब्रह्मण, 28/160”, ग्रेजुएट, गौर वर्ण, निर्व्यसनी (फिल्मों का शौकीन), सुंदर, आकर्षक, गृह कार्य में दक्ष (लेकिन करेगा एक भी नहीं), स्मार्ट युवक हेतु ब्राह्मण धनकुबेर की इकलौती सुंदर कन्या चाहिये । (या ब्राह्मण धनकुबेर की इकलौती सुंदर कन्या के लिये घर जमाई उपलब्ध है ।) विवाह शीघ्र ।

नोट – कृपया आवेदन पत्र के साथ कन्या के पिताजी अपनी वार्षिक आय का पूरा ब्योरा भेजे जो कि आयकर विभाग द्वारा प्रमाणित हो । या अपने व्यवसाय की लेटेस्ट बैलेसशीट किसी चार्टर्ड एकाउंटेट द्वारा प्रमाणित हो, ही भेजें । लड़की के बारे में कुछ बताने की जरूरत नहीं है । लड़की सुंदर और भले स्वभाव की होनी अनिवार्य है । कृपया आवेदन पत्र के साथ 150 रू. का एकाउंट पेइ चेक अवश्य भेजें अन्यथा आवेदन निरस्त माना जायेगा ।

किसी भी प्रकार के विवाद का निपटारा इलाहाबाद हाई कोर्ट में ही होगा ।

पता: 840/2, महात्मा गांधी मार्ग, इलाहाबाद ।

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ये चेक वाला हिसाब इस लिये कि पता तो चले कि घर जामाई की कीमत ससुरों के निगाह में कितनी है । समाज में घर जमाई की कितनी रेपुटेशन है इसका पता चल जायेगा । अगर आवेदन कम आयेंगे तो रकम घटा कर 75 रू. कर दूँगा । साल में दो बार विज्ञापन दँगा जिससे चार जोड़ी कपड़े के पैसे तो निकल ही आयेंगे ।

मेरे इस फार्मूले से देश में बेरोजगारों की संख्या में कमी आयेगी । इसके लिये इंप्लायमेंट एक्सचेंज वालों को मेरा एहसान मानना चाहिये। मेरे इस सामाजिक विचार से प्रभावित होकर मेरे पास इतने बेरोजगार आ रहे हैं कि सोचता हँ कि घर जमाई एसोशिएशन ही खोल लूँ । रजिस्ट्रेशन फीस और अपने कमीशन से जिंदगी ठाठ से गुजर जायेगी । फिलहाल तो अभी पिताजी को अंतिम मौका दे रहा हॅू । अब भी नहीं सुधरे तो अपना खूंटा किसी ससुर के घर में गाड़ लूँगा ।

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