काम ऐसे करो कि लोग आपको….

किसी दूसरे काम के लिए बोले ही नहीं….

शनिवार, 18 नवंबर 2017

मेले में चलते फिरते नजर आयें – दशहरा स्पेशल


आज दशहरा है । इसकी सूचना देने के लिये चौराहे पर 30 माइक्रोफोन अपनी पूरी क्षमता के साथ चिंघाड़ रहे हैं । 15 माइक्रोफोन से ”चलो बुलावा आया है” का आलाप निकल रहा है और बाकी 15 इस जिम्मेदारी के साथ कि इस मेले में युवा पीढ़ी की अधिक्ता है इसलिये ”चढ़ गया ऊपर रे” का उदघोष कर रहे हैं । क्षमता के अनुसार फ्यूज टयूब लाइटें एवं बल्ब लगायी गयी हैं, जो पूरी ऊर्जा के साथ प्रकाशित हो रही हैं । ओवरलोड के कारण मुख्य सड़क को छोड़ कर आधे मुहल्ले में लाईट गायब है । दुष्ट रावण का वध होना है, इसलिये सामान्य नागरिकों की तरफ से रावण की हत्या के लिये ऊर्जा का दान कर दिया गया है ।

गाना बीच में ही रोक कर एनाउंसमेंट शुरू हो गया है और बोलने वाला अपनी वाक कला का प्रदर्शन करने लगा है ।
”हैलो ! ये अमृत लाउडस्पीकर कंपनी के सौजन्य से मैं जगपतलाल बोल रहा हूँ । आप सब का मेले में स्वागत है । कृपया जैसा कि पिछले मेले में आपको बताया गया था कि मेले में चलते फिरते नजर आयें सो इस मेले में भी चलते फिरते नजर आयें । मेला आपका है और आप लोग मेले की छटा निहारते हुये चलते रहिये । बल्लियों में जैसा कि हर साल होता है, 440 वोल्ट का करंट दौड़ रहा है अत: उनको छू कर सच्चाई को परखने की जरूरत कतई नहीं है क्योंकि सच्चाई इस साल भी कडुवी ही निकलेगी ।”
”हाँ, हाँ, बोल रहा हूं, जरा चुप रह” । ”कल्लू । कल्लू कुमार । आप जहाँ कहीं भी हों अमृत लाउडस्पीकर के मंच तक पहुंच जायें आपके दोस्त प्यारे मोहन और चीकू आपका इंतजार कर रहे हैं ।”
”ये चार साल की बच्ची जो लाल रंग की फ्रांक और नीले रंग का ब्लाउज पहने है, बाप का नाम ननकू राम बताती है जिसकी भी हो, यहाँ आके ले जायें । बच्ची बुरी तरह रो रही है और हम उसे चुप नहीं करा पा रहे हैं ।”
”मुकुल तिवारी आप अगर हमरी आवाज सुन रहे हों तो मंचवा के करीब आय जाओ और चंदे की रसीद लेई आये मत भूल्यो ।”
”मेरा पुलिस वालों से अनुरोध है (हिक्क) कि झूले के पास जल्दी से जल्दी (हिक्क) पहुँच (हिक्क) जायें । (अबे इसे हटाओ ज्यादा पी गया है) ”हाँ भइया पुलिस वाले झूले के नजदीक पहुँच जायें वहां पर महिलाओं और बच्चियों के साथ छेड़ा-छाड़ी चल रही है । धन्यवाद ।”
”देखिये बहुत बत्तमीजी हो रही है । हमारी नहीं तो वर्दी की लाज रखिये । कमेटी की तरफ से आपसे अनुरोध है कि आप लोग तत्काल उन लोफरों के हाथ पैर तोड़ दें ।”


इस बीच सारी भीड़ एक तरफ हट गई । बिना सजे-संवरे पाँच ऊंट पधारे, उनके पीछे एक हष्ट-पुष्ट बैल एक चौकी खींचते हुये पहुंच रहा है । उस पर नकली लटकती दाढ़ी-मूँछ और पीली धोती लपेटे एक ऋषी मुनि अपनी उदार मुद्रा में भीड़ को आतंकित करते हुए देख रहे हैं । बैठे वे एक टूटे हुये स्टूल पर हैं । इस चौकी को एक गिलास गिफ्ट किया गया अमृत लाउडस्पीकर वालों की तरफ से ।

उसके पीछे एक चौकी है जिस पर शिवजी विराजमान है । हाय! क्या बांके शिवजी हैं । पीले कलर की छींटेदार लुंगी को मृगचर्म की तरह लपेट रखा है । जाहिर है पूरा शरीर नहीं ढ़का है । उनकी बिना बाल वाली देह को भक्तों के एक वर्ग ने खासा पसंद किया । ‘ओय! शिवजी चिक्कन है बे’ । शिवजी अचानक बैठे बैठे पीठ खुजलाने लगे क्योंकि कीड़ों को भी उनकी कोमल चमड़ी पसंद आ गई थी । इस चौकी को एक गिलास प्रदान किया गया ।

”वाह क्या चौकी है । वाह भाई ! वाह क्या बात है । बहुत अच्छे, भाई क्या कहना । आप लोगन ने बहुतई सुंदर चौकी का निमार्ण किया है । आप लोग अपना पूरा प्रदर्शन कीजिये ।”

चौकी जो अब आ रही है वो माँ वैष्णो देवी के हाथों भैरों वध का प्रदर्शन कर रही है । एक आदमी उस पर सिविल ड्रेस में खड़ा लग्गी लेकर बिजली के तार रास्ते से हटा रहा है । माँ वैष्णो देवी शांत मुद्रा में त्रिशूल धारण किये खड़ी हैं । सामने भैरव किसी हनुमान टाईप लड़के के साथ युध्द कला का प्रदर्शन कर रहा है । दोनो रामानंद सागर से सीख लेकर पहले पांच मिनट तक लड़े । माँ का सिंह भी पूरे मेकअप में खांस रहा था । उसका मुखौटा बढ़िया था पर वह जरा ढ़ीला था इसलिये वह भैरो को एक बार पंजा दिखाता था फिर एक बार मुखौटा सही करता था । अचानक माँ आकाशवाणी करती हुई उठ खड़ी हुईं । उन्होंने हनुमान टाइप लड़के को संबोधित किया ”ये दुष्ट तुमसे नहीं मरेगा । इसका वध मेरे हाथों होगा ।” वह लाल लंगोटधारी अपने पार्ट से संतुष्ट होकर अपनी जगह बैठ गया । माँ ने गत्ते का त्रिशूल उठा कर उस दुष्ट का काम तमाम कर दिया । इस चौकी को एक गिलास और थाली दी गई । जोकि सहर्ष स्वीकार कर ली गई ।

उसके पीछे जो चौकी आ रही है वह पुलीस चौकी से निकली है । दो पुलीस वाले दो ऊंचे घोड़ों पर बैठे शांति व्यवस्था बनाने के लिये निकले हैं । उन्हें देखने में दर्शकों ने कोई उत्सुकता नहीं दिखाई । इसका एक कारण उनकी तेल पी हुई लाठी और तनी हुई भौहें हैं । अगर वे एक तख्ती पर रावण-कुंभकरण लिख आये होते तो उनको भी एक गिलास तो मिल ही जाता । आजकल पुलीस वालों में धर्म का लोप हो रहा है जिसका यह सीधा उदाहरण है ।

उनके पीछे की चौकी है बालि-सुग्रीव युध्द की । दानों में से कौन बालि है और कौन सुग्रीव कुछ पता नहीं । पर एक के हाथ में टाईटन की घड़ी झलक रही है । शायद रामजी के पास फूल की माला नहीं थी सो अपनी घड़ी सुग्रीव को दिये हुये हैं । ”देखो मैं ठीक पौने तीन बजे तीर चला दूँगा । तुम घड़ी पहन लो जिससे मैं तुम्हें पहचान लूंगा ।” पर रामजी फरार थे और दोनों योध्दा जो कि बानर कम राक्षस ज्यादा लग रहे थे एक गिलास और चम्मच के लिये जोरदार मल्ल युध्द का भावभीना प्रदर्शन कर रहे थे । और मिला भी । कटोरी प्लेट मिल गयी । अब थोड़ा दर्शक वर्ग पर नजर डाली जाये ।

जारी…….

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