नौकरी के दौरान लाखों रूपये की रिश्वत लेने वाले रिटायर्ड पुलिस अफसर के घर के सामने एक कुत्ता मर गया । अफसर ने उसे हटाने के लिये नगर निगम के दफ्तर में खबर भिजावाई । सफाई कर्मचारी कई घंटों की देरी के बाद मौके पर पहुंचा । उसने रिटार्यड पुलिस अफसर से कहा ‘साहब बीस रूपये मेहनताना दीजिये ।’ बूढ़े पुलिस अफसर ने गुर्रा कर कहा ‘रिश्वत मांगते हो, शर्म नहीं आती । तुम्हें तनख्वाह किस बात की दी जाती है ।’
सफाई कर्मचारी छूटते ही बोला, ‘ए साहेब बिगड़ काहे को रहे हैं । तनख्वाह तो आपऊ पावत रहिन । इ बंगलवा रिश्वतइ से बना हव । बीस रूपल्ली नहीं देइ सकतिन तो घर बइठें । हमरे लगे काम क कमी नाही हव । वार्ड में एक दर्जन कुकुर बिलार मरा पड़ा, गंधात हैं । जब एकर लंबर आई तब हमउ आइ जाब ।’
सफाई कर्मचारी चला गया तो दो दिन तक वापस नहीं लौटा । पड़ोसियों ने बूढे़ अफसर को समझाया, ‘साहब आपने बीस रूपये दे दिये होते तो मुसीबत टल जाती । मरे जानवर उठाने वाले कर्मचारी बिना अपना दस्तूर लिये काम नहीं करते ।’
पुलिस अफसर खामोश रहे । आधी रात को उन्होंने डंडे से ठेल कर मरा कुत्ता गली के नुक्कड़ तक पहुंचा दिया । वे दबे पांव वापस लौट रहे थे कि खिड़की से झांक रहे एक पड़ोसी ने कहा, ‘सर आपने दस रूपये का काम तो कर दिया । थोड़ी और तकलीफ करके कुत्ता मेरे घर के आगे से ठेल दीजिये तो मैं आपको बीस रूपये दे सकता हूँ ।’
सवेरे यह किस्सा मुहल्ले में हर कोयी चटकारे लेकर सुना रहा था और बूढ़े पुलिस अफसर शान से दरवाजे पर अखबार पढ़ रहे थे । अब न कोयी लाश थी और न ही को
Posted by sudadmin on April 14, 2016
नौकरी के दौरान लाखों रूपये की रिश्वत लेने वाले रिटायर्ड पुलिस अफसर के घर के सामने एक कुत्ता मर गया । अफसर ने उसे हटाने के लिये नगर निगम के दफ्तर में खबर भिजावाई । सफाई कर्मचारी कई घंटों की देरी के बाद मौके पर पहुंचा । उसने रिटार्यड पुलिस अफसर से कहा ‘साहब बीस रूपये मेहनताना दीजिये ।’ बूढ़े पुलिस अफसर ने गुर्रा कर कहा ‘रिश्वत मांगते हो, शर्म नहीं आती । तुम्हें तनख्वाह किस बात की दी जाती है ।’
सफाई कर्मचारी छूटते ही बोला, ‘ए साहेब बिगड़ काहे को रहे हैं । तनख्वाह तो आपऊ पावत रहिन । इ बंगलवा रिश्वतइ से बना हव । बीस रूपल्ली नहीं देइ सकतिन तो घर बइठें । हमरे लगे काम क कमी नाही हव । वार्ड में एक दर्जन कुकुर बिलार मरा पड़ा, गंधात हैं । जब एकर लंबर आई तब हमउ आइ जाब ।’
सफाई कर्मचारी चला गया तो दो दिन तक वापस नहीं लौटा । पड़ोसियों ने बूढे़ अफसर को समझाया, ‘साहब आपने बीस रूपये दे दिये होते तो मुसीबत टल जाती । मरे जानवर उठाने वाले कर्मचारी बिना अपना दस्तूर लिये काम नहीं करते ।’
पुलिस अफसर खामोश रहे । आधी रात को उन्होंने डंडे से ठेल कर मरा कुत्ता गली के नुक्कड़ तक पहुंचा दिया । वे दबे पांव वापस लौट रहे थे कि खिड़की से झांक रहे एक पड़ोसी ने कहा, ‘सर आपने दस रूपये का काम तो कर दिया । थोड़ी और तकलीफ करके कुत्ता मेरे घर के आगे से ठेल दीजिये तो मैं आपको बीस रूपये दे सकता हूँ ।’
सवेरे यह किस्सा मुहल्ले में हर कोयी चटकारे लेकर सुना रहा था और बूढ़े पुलिस अफसर शान से दरवाजे पर अखबार पढ़ रहे थे । अब न कोयी लाश थी और न ही को
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