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शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

नगर निगम के आदि देवता “वराह”

नगर पशुधन अधिकारी के बयान अक्सर सियासी पाले को छूते नजर आते हैं । शहर में सुअरों को बाहर करने की दिशा में उठाये गये उनके कदमों की चर्चा अखबारों में खूब होती है लेकिन सड़कों, गलियों में ये पशु स्वच्छन्दता पूर्वक विचरण करते हर मोहल्ले में देखे जा सकते हैं । उस दिन सक्सेना जी ने मार्निंग वॉक से लौकटकर सब्जी से भरा झोला बरामदे में रख दिया और लान में कुर्सी डालकर अखबार पढ़़ने लगे । वे अभी रामवृक्ष यादव के प्रकरण पर आंख गड़ाये ही थे की तभी ‘गुर्र-गुर्र’ की आवाज हुयी । एक विदेशी नस्ल का बेहद मोटा सुअर झोले मे रखी लौकी को थूथन में दाब कर भाग रहा था।


सक्सेना जी चीखकर सूअर की और लपके । उनकी चीख सुनकर पड़ोसी पाण्डेय जी भी दौड़े आये । सक्सेना जी गुस्से से उबल रहे थे । ‘सारे अफसर नाकारा हैं । ये शहर से सूअर नहीं हटा सकते ।’


पाण्डेय जी मुस्कुराये, ‘अफसरों को सुअर हटाने की जरूरत नहीं है । ये नगर निगम के ऐसे सफाई कर्मी हैं जो तनख्वाह और मंहगाई भत्ते के बिना दिन रात सफाई करते रहते हैं । ये कभी हड़ताल नहीं करते । जिस दिन शहरों से सारे सुअर बाहर कर दिये जायेंगे उस दिन बस्तियों में गंदगी का अंबार लग जायेगा ।’

सक्सेना जी पाण्डेय जी के मुख से ‘वराह’ पुराण का माहात्म सुन कर लौकी गंवाने का गम भूल गये और मुस्कुराने लगे । पाण्डेय जी ने लोहा गरम जानकर हथौड़ा चला दिया । ‘भाभी जी नहीं दिख रहीं हैं । किचन में हैं क्या ? उनसे कहियेगा की चाय में चीनी कम डालेंगी । आज कल शुगर लेवर हाई रहता है ।’

animated-pig-image-0039  animated-pig-image-0229 => छोटा परिवार सुखी परिवार का नारा इंसानों के लिए होगा. यहाँ तो  हर साल एक छोटा परिवार बढ़ जाता है……बड्कऊ को भेजा है नगर निगम की कचरा पेटी से लंच लाने. उसके आते ही आज की पार्टी शुरू हो जाएगी.                                                   

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