काम ऐसे करो कि लोग आपको….

किसी दूसरे काम के लिए बोले ही नहीं….

रविवार, 19 नवंबर 2017

फिर भाईयों की रक्षा कौन करेगा ।

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मित्रों, परोपकार करना भी एक आदत होती है । जब तक दिन भर में दस-बीस लोगों का कल्याण न कर दें रात को नींद नहीं आती । वो कहते हैं न, दान का पुण्य तब मिलता है जब दायें से करिये और बायां हाथ जेब में पड़ा चिल्लर गिनता रहे । आप को पता भी नहीं चलता है और यार लोग आप का उद्धार करके फारिग हो जाते हैं । अब देखिये आज रक्षा बन्धन है । बिना मिठाई के तो बहन लोग बांधेगी नहीं । राखी बांधी और साल भर की सुरक्षा की पालिसी भाई से कड़कड़ाते नोट के साथ रिसीव की । अब बहनजी ने तो अपनी सुरक्षा की गारंटी ले ली लेकिन जो मिठाई भाईसाहब को खिलाई है उसकी क्या गारंटी है । हलवाई ने जो परोपकार किया आप पर इस त्योहार में उसकी आपको कुछ खबर नहीं है । बड़ी मेहनत लगती है मित्रों परोपकार करने में । 10 -15 दिन पहले से ही तैयारी करनी पड़ती है । एकाएक कैसे इत्ता खोआ मार्केट में आ जाता है । दूध की खपत उतनी ही है । गऊ मताओं और भैंस मौसियों की अपनी क्षमता है । वो अचानक तो दूध बढ़ा नहीं देतीं । तब । भाईलोगों की मावा तैयार करने की हाइटेक तकनीकें कब काम आयेंगी । जैसे डिटर्जेंट पाउडर और यूरिया से तैयार किया गया खोआ । अरे, अरे ! मुंह मत बनाइये । कुछ नहीं होता है । खूब खाइये । इत्ते साल से खा रहे हैं, कुछ हुआ क्या । नहीं न । तब फिर । शौक से खाइये और मौज से त्योहार मनाइये ।

देशी घी की बनी मिठाई या नमकीन मंे पड़ा घी गाय-भैंस के दूध का है या बूचड़खाने से प्राप्त उनके शरीर की चर्बी का, बात तो एक ही है न । चाहे ऐसे खाइये या वैसे । फैट तो दूध में भी होता है और चर्बी में भी । अब देखिये न दसों दिशाओं से परोपकार की बारिश हो रही है । परोपकार के दूध से नहाये, गंधाते हम लोगों को ये तक नहीं मालूम की वो बेचारे अपनी जान हथेली पर रखकर, पुलिस वालों और दूसरे सरकारी कर्मचारियों की जेबें गर्म कर-करके हलकान हुये जा रहे हैं और हमको खबर भी नहीं है। ऐसे परोपकारियों के लिये किसी शायर ने क्या खूब कहा है कि खाक हो जायेंगे हम उनको खबर होते होते ।

नमकीनें इस्तेमाल हो चुके मोबिल आयल में तली जा रही हैं ताकि बाजार में नमकीनों की कमी के कारण कालाबाज़ारी न होने पाये । दाल की जगह खेसारी मिलाई जा रही है नमकीनों में । अब दाल के भाव तो आसमान में भी छेद कर रहे हैं ऐसे में नमकीनों की कमी न होने पाये इसलिये खेसारी दाल का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है ।

तमाम तरह से परोपकार किया जा रहा है हम पर । सरकार खुद ही इस काम में लगी हुयी है । फरवरी माह में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री चिरंजीवी अंबुमणि रामदास ने कहा था कि बाजार में मिलने वाले सभी वनस्पति घी और रिफाइंड आयल में ट्रांस फैट डब्ल्यू.एच.ओ. के मानकों से बीस गुना ज्यादा है । हम इस पर रोक नहीं लगा सकते क्यों कि इससे बाजार में सरसों के तेल की कालाबाजारी होने लगेगी क्यों कि सरसों, तिल, सूरजमुखी इत्यादि के तेल में ट्रांस फैट सबसे कम होता है । यहां तक कि गाय के शुद्ध देशी घी में तो ये 0.5 प्रतिशत ही होता है । (पढिये फरवरी माह में प्रकाशित मेरा व्यंग्य ”ऋण लेकर घी पियो और मर जाओ”।)

अब रक्षाबन्धन के इस पावन अवसर पर एक हृदय विदारक संस्मरण सुनिये । तब मैं कक्षा 7 का होनहार विद्यार्थी हुआ करता था । स्कूल कोएड था इसलिये पढ़ने में मन लगा रहता था । रक्षाबन्धन नजदीक था तभी अचानक एक दिन हमारे क्लास की सभी 7-8 लड़कियों ने रक्षाबन्धन मनाने की सोची । हमें क्या आपत्ति हो सकती थी । मना लो, लेकिन इत्ती सी उम्र में सुरक्षा के प्रति इत्ती गंभीरता । खैर । उनमें से एक थी नुपुर चैटर्जी । उनकी मुस्कान हमें आशा पारिख की याद दिलाया करती थी, वो हमें पसंद थीं । सबसे तो हमने राखी बंधवा ली, लेकिन जब उनकी बारी आयी तो हम यह कहते हुये मुकर गये कि बस अब दायें हाथ में जगह नहीं है । बायें हाथ में राखी बंधवाना अशुभ होता है । नुपुर जी ने और क्लास की सभी ताजी-ताजी बनी बहनों ने लंबी जिरह की लेकिन हम टस से मस नहीं हुये । हार कर सब अपनी अपनी कुर्सियों की शोभा बढ़ाने लगीं । नुपुर जी की बड़ी बहन हम लोगों को इंग्लिश ग्रामर पढ़ाया करती थीं । इसका नतीजा ये हुआ कि अगले मन्थली टेस्ट में हमें ग्रामर में 10 में 3 नंबर मिले । मित्रों, वह रिपोर्ट कार्ड अभी तक संभाल कर रखा हुआ है । प्यार के पहले ही इम्तिहान में हमें ज़बरदस्ती फेल कर दिया गया । बाद में भी प्रेम के मामले में हमारी स्थिति में कुछ सुधार न हुआ और विवाह तक हम कोरे के कोरे ही रहे । कुछ सालों बाद एक दिन बी. काम. फैकल्टी में नुपर जी से मुलाकात हुयी । तब तक वो फूल कर कुप्पा हो चुकी थीं और अब आशा पारिख की जगह मारूति गुड्डी ने ले ली थी ।

मित्रों आप सभी को रक्षा बंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें । बहनों की रक्षा तो आप कर ही लेंगे मगर अपनी सुरक्षा चाहते हैं तो कृपया त्योहारों पर नकली मिठाईयों से दूरी बनाये रखें और हो सके तो गुड़, पेठा या रेवड़ी खा कर ही त्योहार मनायें ।

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